इस hindi moral stories का मकसद आपको एक अच्छा मोरल देना है , ओर आपका मनोरंजन करना है ।
यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसने अपनी मेहनत से स्वयं को
अपने गुरु के सामने सिद्ध किया और एक महान ज्ञानी इंसान बना , ओर अभी का सम्मान प्राप्त करने के काबिल बना ।
इस hindi moral story का मोरल है कि मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती ।
यह एक inspiration in hindi स्टोरी है , ओर इस स्टोरी को पढ़ कर आपको एक अच्छा मोरल मिलेगा , ओर आपको अपने काम मे अधिक मेहनत करने का जूनून आएगा ।
आप इस कहानी का शिर्षक पढ़ कर सोच रहे होंगे कि इसका नाम इस तरह क्यो रखा गया है , परंतु यह नाम कहानी के अनुसार बिल्कुल उचित लग रहा है ।
यदि आपको कोई और नाम अच्छा लगे तो कमेंट में जरूर बताएं ।हमे आपके जबाब का इंतजार रहेगा ।
एक गांव में एक लड़का रहता था नवीन वह पढ़ने में इतना तेज नही था ,ओर इसे बात पर उसके सभी गुरु उसे रोज डांट देते थे ।
पर अब इस बात की नवीन को आदत हो चुकी थी ।
जैसे तैसे नवीन ने अपनी चौथी कक्षा की पढ़ाई पूरी कर दी , परंतु अब कक्षा 5 में पास होना उसे मुश्किल लग रहा था ।
उसे लग रहा था कि वह फैल हो जाएगा, ओर उसका सोचना सही था, वह फैल हो गया ।
उसके घर वालो ने उसे बहुत डांट दिया , स्कूल में भी बहुत डांट पड़ी ।
अब दूसरा साल था , ओर अभी भी नवीन की स्थिति सही नही थी इस साल भी उसका पास होना मुश्किल था । और अब वह दूसरे साल भी फैल हो गया ।
उसके पिताजी किसान थे वह नवीन को पढ़ा नही सकते है , इसी लिए उसके पिता ने उसे भी मजबूरी में लगाने का फैसला किया ।
परंतु नवीन की माता चाहती थी कि नवीन पढ़े और अपना जीवन सुधार ले , परन्तु वह रोने के सिवाय कुछ नही कर सकती थी । और वह रोने लगीं और बोली बेटा की तेरे दिमाग मे जंक लग गया है ।
तुम अपनी आर्थिक स्थिति को देख कर भी नही संभाल रहे हो , ओर रोने लगी ।
नवीन अपने माता को बहुत प्यार करता था , ओर उससे यह देखा नही गया कि उसकी माँ उसकी वजह से रो रही है ।
उसका दिमाक ने काम करना बंद कर दिया ,वह कुछ नही समझ पाया और उसने एक उपाय निकाला मौत ।
वह दौड़ कर कुएं के सामने गया और कुए में कूदने की सोची , पर उसने एक अजीब चीज देखी , ओर उस दिन के बाद उसका अपने काम के प्रति रुचि बढ़ गई ।
कुए में इस क्या था ?
कुएं में जिस स्थान पर से पानी निकाल रहे थे उस स्थान पर रस्सी के बार बार घिसने से निशान पर गये थे ।
कुँए की दीवाल मजबूर पत्थर से बनी थी परंतु एक मुलायाम रस्सी के बार बार घिसने से उसपर निशान पड़ गए ।
तब नवीन ने सोचा कि जब रस्सी से पत्थर पर निशान पड सकते है , तो मेरे दिमाक में ऐसा क्या जंक लग गया जो में नही पढ़ सकता , ओर में क्यो पास नही हो सकता ।
अब नवीन की जंग उसके दिमाक की जंक के साथ थी ।
नवीन जल्दी घर गया और अपने पिताजी को मनाने लगा, उसके पिताजी आसानी से मनाने वाले नही थे , परंतु उसने पिताजी के पैर पकड़ लिए तब पिताजी का दिल द्रवित हो गया ।
दूसरे दिन नवीन स्कूल गया , पर उसे कक्षा में बैठने नही दिया , वह बाहर ही गुरुजी का इंतजआर करने लगा पर उसे गुरुजी नही मिले ।
परंतु गुरुजी की उसपर सुबह को ही नजर पड़ गई थी ।
सभी है उसे लज्जित किया कि तेरे बस का पढना लिखना नही है , तेरे दिमाक में जंग लग गई है तू मजदूरी कर ।
नवीन किसी की नही सुन रहा था बस एक बात पर अड़ा था कि मुझे गुरुजी से मिलना है ।
छुट्टी के समय गुरुजी ने उसे बुलाय ओर कहा कि अब की रह गया है , तो नवीन बोलै गुरुजी कृपया मुझे एक मौका दे ।
में पढ़ना चाहता हूं में बहुत मेहनत करूँगा ओर जरूर पास हो जाऊंगा ।
फिर गुरुजी बोले कि ऐसा कैसे करोगे तुम , तो नवीन बोलै जैसे एक कुआ में एक मुलायम रस्सी से पत्थर पर निशान पड़ जाते है , तो क्या में बुद्धि इतनी जड़ है जो में पढ़ न सकू ।
गुरुजी बहुत प्रभवित हुए । और उसे फिर से कक्षा में स्थान दिया ।
अब नवीन रोज मेहनत करने लगा दिनरात , ओर इस साल वह पहले नम्बर से कक्षा में पास हुया ।
सभी लोग सोचने लगे कि यह इतना तेज कैसे हो गया , पर अब सभी की बोलती बंद है ।
ओर नवीन कभी भी फैल नही हुआ और अपने परिवार का सिर ऊंचा किया ।
आगे चलकर वह एक डॉक्टर बना और अपने परिवार की सारी गरीबी दूर की ।
इस कहानी का मोरल आपको पता चल ही गया है कि मेहनत करनेवालो की कभी हार नही होती ।
जब नवीन ने मेहनत की तो नवीन अपनी जिंदगी में सफल हुया।
करत करत अभ्यास से जड़मति होए सूजन ।
इसका अर्थ है कि बार बार प्रयास करने से पत्थर बुद्धि वाले भी , तेज हो जाते है ।
जिस प्रकार नवीन ने मेहनत की उसी प्रकार हमें भी मेहनत करनी चाहिए ।और अपने काम मे सफल होना चाहिए ।
दोस्तो यदि आपको ये कहानी पसंद आई हो तो कहानी को लाइक ओर शेअर जरूर करे , ओर अपने पसंद के मोरल को आप कमेंट में जरूर लिखे , हम आपके मोरल के अनुसार आपके लिये कहानी लिखेंगे । इससे हमें खुशी मिलेगी ।
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