एक महिला ऐसी जिसने मजदूरी कर के अपने परिवार का पेट भर दिया।
यह एक real life moral stories है जिसमे एक महिला ने मजदूरी करके अपने परिवार कि रक्षा की अपने परिवार का गुजारा किया ।
महिलाओं की पहले से ही पुरुष से कम आंका जाता है ।
और जहां देखो वहां। महिला को नीचा दिखाने की कोशिश की जाती है ।
महिला क्या कर सकती है इसका अनुमान तो कोई भी नही लगा सकता परंतु महिलाओं को सिर्फ चूल्हा चौका करने के लिए घरेलू कामों में झोंका जाता है ।
इस कहानी है एक इसी ही महिला सुनीता की कहानी है जिनसे समान ढोने वाले रिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण किया ।
सुनीता का विवाह हो चुका है, सुनीता मात्र 35 साल की है ।
सुनीता के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है ।
सुनीता के पति एक मजदूर थे जो मात्र इतना कमात जिससे उसका सिर्फ भरण पोषण होता है ।
सुनीता के पति की मासिक आय बस इतनी है कि उससे सुनीता का परिवार अपनी ख्वाइश की पूरा नहीं कर सकता था ।
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पर एक दिन सुनीता से यह खुशी भी छीन गई , सुनीता के पति जब मजदूरी क शाम को घर लौट रहे थे तो एक सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गईं।
सुनीता के ऊपर से उसके पति का साया छीन गया ।
और साथ में एक वक्त कि रोटी भी
सुनीता का परिवार एक वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गया ।
, ऐसे वक्त में कई लोग गलत फैसला कर लेते है , जैसे कि भूख के कारण आत्महत्या कर देना , या फिर चोरी करना , अपने आत्मसम्मान कि छोड़ कर भीक मांगना ,या फिर वेश्यवृत्ति के दलदल में चले जाना ।
अक्सर ऐसी सभी काम इसी स्थिति में आकर शुरू होते है जब इंसान की भूख इतनी बढ़ जाती है कि वह सोचना समझना छोड़ देता है ।
पर सुनीता है एक सच्ची अच्छी राह चुनी ओर अपने परिवार को मौत ओर किसी लांछन लगने से बचा लिया ।
।सुनीता की 2 बेटी ओर एक बेटा भी है , सुनीता है उनके बारे में सोचा ओर सुनीता ने भी मजदूरी करने का निश्चय किया ।
गांव में महिलाओं कि मजदूरी करने का एक बड़ा परिसर मिल जाता है , परंतु वहीं बात यदि शहर की हो तो , हर जगह पुरुषों का बोल बाला है ।
ऐसे में सुनीता की रोजगार मिलना नामुमकिन था , ओर वह इतनी पढ़ी लिखी भी नहीं थी कि किसी कंपनी में काम कर सके ।
परंतु सुनीता ने सब कुछ छोड़ कर अपने लिए एक रिक्शा ले लिए , समान ढोने वाला रिक्शा ।
सुनीता के पास इतना धन नहीं था कि वह उसे खरीद सके , इसी वजह से रिक्शा भी किश्त में खरीदा गया ।
सुनीता के इस कार्य का सभी ने खूब समर्थन किया ओर , उसकी मेहनत को सभी ने सराहना दी ।
अब सुनीता रिक्शा चला कर समान ढो कर अपने परिवार का खुशी से भरण पोषण कर रही है ।
अक्षर यदि आप किसी वेश्यावृत्ति करने वाली महिला से पूछोगे कि आप इस कार्य में केसे आए तो सभी का थी जाबाब होगा कि मजबूरी , परंतु मेरा मानना है
कि यदि महिला किसी काम को करने की सोच ले तो वह उसमे भी अपने जीवन यापन कर सकती है ओर वह भी समाज में पूरी इज्जत के साथ ।
अब महिलाओं को काम आंकने का समय नहीं रहा है अब महिलाएं , डाक्टर , पुलिस, अध्यापक , साइंटिस्ट , ड्राइवर , यहां तक कि घरों में गार्ड तक का काम तक करती है ।
Moral stories in hindi : moral of this story
इस कहानी का मोरल है कि मेहनत करने वाली की कभी हार नहीं होती । इंसान को मेहनत करनी चाहिए , को इंसान मेहनत करता है उसे सफलता जरुर मिलती है ।
मुझे उम्मीद है कि आपको कहानी बहुत पसंद आएगी ।
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